...

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शायद नहीं
शायद नहीं,
रहा में किशिके दिल में अब।
शायद नहीं ,
रहा में कोई महफ़िल में अब।
घर है मेरा अब गम की आशियाना,
नहीं है दिल में अब कोई फसाना।
रुक रुक कर दिल भी धड़कता रहा,
में ठोकर खाकर भी चलता गया।
सांसे चली, उम्मीदें टूटी,
पर ना छूटा मोह माया।