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तुम पूछ लो मेरा नाम


तुम फूलों से पूछो और भंवरा से।
कोमल पत्ते पर बिखरी शबनम से।।
सरसो के पीले फूलों से।
झूलते सावन के झूलों से ।।

लचकाती कमर फसलों से।
जो पांव में घुंघरू बजाती महलों से।।
जो चमक चांदनी जमीं पर लाई।
पूर्णिमा की रातों में चुनर लहराई।।

किसी के खिलते मुस्कानों से।
किसी के होंठो के तरानों से।।
तुम पूछ लो सुबह के धूपो से।
जो मुझसे प्यार करती, उनके रूपो से।।

तुम पूछ लो किसी के ज़ुल्फो के रंगों से।
किसी के बाली उम्र के उमंगों से।।
उनकी चलने की आवाज आहिस्ता बनकर।
जो मुझे घेर रखी है हर डगर पर।।

जो मुझसे प्यार किए तन्हा रहकर।
अपने दिल में बसा लिए मुस्कुराकर।।
जो मुझे अभी छोड़ना नहीं चाहते हैं।
बार- बार मनोज कहकर पुकारते हैं।।


© All Manoj Kumar