...

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मुस्कान
😊मुस्कान😊
सुनो
कौन
अजी तुम
ओह अच्छा
हाँ, बोलों
तुम ओर तुम्हारी ये मुस्कान,किसी दिन मेरी जान लेकर मानेंगी,
क्यों ? में इतना बुरा हंसती हूं,
अजी नही।
तुम्हारी मुस्कान से ही तो,आज में जिंदा हु, सच मे, मुच् में।
पागल, 😊😊🤩
कुछ लिखा है,तुम्हारे लिए,इजाजत हो तो कान्हु।
बिल्कुल,मेरे प्रीतम
तुम जो हंसती हो,सारा बागान खिल उठता है।
तुम्हारी हँसी में ,सारा घराना महक उठता है।
यूं हंसती रहो, हंसाती रहो, तुमसे मेरा जीवन ख़ुशहाल बनता है।
😘😘😘😘😘🥰😘
शास्त्रीजी