...

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My Dear Son
स्वेत पटल है,आगे कल है
ध्येय घरो तुम, नए रंग का सुत्र बनो तुम।

नए खेल में, नए परिचय में
विद्रोह करो तुम, स्वच्छंद उड़ो तुम।

ये तेरी कहानी ,कल तुझे सुनानी
गर्व भरी या स्याह वो ग्लानी ,
साहस और संघर्ष चुनो तुम।

जो बिता, कल था, बचपन का वो पृष्ठ एक था
नए सिरे से नींव घरो तुम ,खुद अपना इतहास लिखो तुम।

राह नयी, ना आसां होगी, सांस थकेगी, संदेह निराशा बदली घिरेगी
हर बाघा, जंजीर तोड़ तुम, लडों, गिरो, फिर दौड पडो तुम।

एक सलाह है मेरी, एक तेरी माँ की, कुछ हमें मिली थी, कुछ नए समय की
Virtual World से दूर रहो तुम, एक तितली पकड़ो, एक पृष्ठ पढ़ो, नित प्रश्न करो तुम।

सम्मान गुरु का, छोटा हो या घनी सभी का, जीत हार में समरसता का
एक भाव लिए तुम, अस्मित नाम साकार करो तुम।

विरल, दृश्य एक जीवन जीना, स्वास्थ्, उत्सुक एक जीवन जीना
हम दोनों का प्यार लिए तुम, संदेह त्याग, फलांग भरो तुम।