...

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जीवन एक यात्रा है...
यात्रा ही तो है जीवन।
कुछ अन्य नये नये यात्री मिलते हैं।
कुछ मिलकर बिछड़ते हैं,
कुछ बिछड़कर मिलते हैं।
कुछ साथ चलते हैं।
इष्ट बिना कुछ यात्रियों के साथ
चलना पड़ता है,
साथ निभाना होता है।
कुछ चाहें तो भी साथ नहीं चल सकते हैं।।

यह अनादि अविनाशी सृष्टि नाटक चक्र
और समय का चक्र...