...

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ग़ाफ़िल हुए बैठे हैं
ग़ाफ़िल हुए बैठे हैं हम खुद अपने आप से,
शिकायत है कि याद नहीं करते अपने आप से।
बिख़रे हुए तारों को समेटता रहा रात भर,
दिन भर फिर ना मुलाकात हुई मेरी अपने आप से।
पहले धागे को बनाया कपड़ा ठोक ठाककर,
फिर खौफ़े-जुदाई में हुआ...