धरा की पुकार
**धरा की पुकार**
बढ़ रही मानव तेरी आवादी
ला रहा क्यों तू बरबादी ?
जंगल जंगल काट रहा है,
मुझको क्यों तू छाँट रहा है ?
मैं हूँ धरती मैया तेरी,
तेरा जीवन चाह मेरी,
सह रही हूँ बर्बरता तेरी,
सुन ले अब तू आह ये मेरी ।
छोड़ दे तू...
बढ़ रही मानव तेरी आवादी
ला रहा क्यों तू बरबादी ?
जंगल जंगल काट रहा है,
मुझको क्यों तू छाँट रहा है ?
मैं हूँ धरती मैया तेरी,
तेरा जीवन चाह मेरी,
सह रही हूँ बर्बरता तेरी,
सुन ले अब तू आह ये मेरी ।
छोड़ दे तू...