..... कर गया हूँ मैं...
वैसे हँस तो लेता हूँ हर रोज,
पर हर खुशी में आँख भर लिया हूँ मैं ।
अब तो मौत भी मुक़म्मल न होती,
जी-ते-जी जब से मर गया हूँ मैं ।
अब तो खुद में खुशी भी न आती,
तेरी याद से खुदकुशी कर गया हूँ मैं।
वो.. तेरा शक्ल.., हमशक्ल न रहा,
जब से खुद के आईने में संवर गया हूँ मैं ।
ज़िन्दगी में सा.. रे.. ग.. म.. सुन -सुन...
पर हर खुशी में आँख भर लिया हूँ मैं ।
अब तो मौत भी मुक़म्मल न होती,
जी-ते-जी जब से मर गया हूँ मैं ।
अब तो खुद में खुशी भी न आती,
तेरी याद से खुदकुशी कर गया हूँ मैं।
वो.. तेरा शक्ल.., हमशक्ल न रहा,
जब से खुद के आईने में संवर गया हूँ मैं ।
ज़िन्दगी में सा.. रे.. ग.. म.. सुन -सुन...