मुक्ति
हारना तो तुमको भी होगा कब तक जश्न मनाओगे
माटी की काया को कब तक सोने की परत चढ़ाओगे
पल में ही उन्मुक्त आसमान से ज़मीन पर आओगे
ज़िन्दगी तो छलावा है सुकून तो अंत में पाओगे ।।
© NC
माटी की काया को कब तक सोने की परत चढ़ाओगे
पल में ही उन्मुक्त आसमान से ज़मीन पर आओगे
ज़िन्दगी तो छलावा है सुकून तो अंत में पाओगे ।।
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