" हे कृषक तुम हो महान "
हे भूमि पुत्र भगवान, हे कृषक तुम हो महान।
हे श्रम समन्दर, तुम हो, देश के गौरव गान।।
बंजर धरती को भी तुम, खुश हरा-भरा कर देते हो।
कांटे चुनकर फूलों को तुम, डगर-डगर कर देते हो।।
हे खेतिहर हलधर तुम, हो तिरंगा की शान।
हे भूमि पुत्र भगवान................................।।
खेत की हरियाली देख , अधरों पर मुस्कान रहे।
जीवन में खुशी की आशा, लिए हर इंसान रहे।।
हे अन्नदाता जीवित...
हे श्रम समन्दर, तुम हो, देश के गौरव गान।।
बंजर धरती को भी तुम, खुश हरा-भरा कर देते हो।
कांटे चुनकर फूलों को तुम, डगर-डगर कर देते हो।।
हे खेतिहर हलधर तुम, हो तिरंगा की शान।
हे भूमि पुत्र भगवान................................।।
खेत की हरियाली देख , अधरों पर मुस्कान रहे।
जीवन में खुशी की आशा, लिए हर इंसान रहे।।
हे अन्नदाता जीवित...