मोहब्बत
एक बार नहीं मैं तुझे,
सौ बार मोहब्बत कर बैठा.!
तू मासूम सी है नाजुक सी कली,
तुझको मैं अपना दिल दे बैठा.!
कुछ ख्वाब सजाए हैं इस दिल ने,
जिसमे तेरा नूर है बसा हुआ.!
कब होगा मिलन हम...
सौ बार मोहब्बत कर बैठा.!
तू मासूम सी है नाजुक सी कली,
तुझको मैं अपना दिल दे बैठा.!
कुछ ख्वाब सजाए हैं इस दिल ने,
जिसमे तेरा नूर है बसा हुआ.!
कब होगा मिलन हम...