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परम सत्य।
चीजें तमाम मन बहलाने के लिए वेशक जोड़ रखिए,
पर साथ कुछ भी नहीं जाएगा ये सोच भी बनाए रखिए।
जितना दिया उतना लौट आएगा यह भ्रम मत पालिए,
कब सब कुछ लूट जाएगा ये मन:स्थिति बनाए रखिए।
दगा कब कौन दे जाए इस पर सवाल मत रखिए,
हर वक्त एक नया जख्म खाने की तैयारी रखिए।
वादे किसने कब क्या किया,भूल जाने की कोशिश कीजिए,
आप कहां तक वादा निभाने,जरा इस पर गौर कीजिए।
एक बूंद आंसू औरों के आंखों में अपने लिए छोड़ रखिए,
जाने कब कूंच करना हो, इससे भी इत्तफाक रखिए।
रीता चटर्जी
पर साथ कुछ भी नहीं जाएगा ये सोच भी बनाए रखिए।
जितना दिया उतना लौट आएगा यह भ्रम मत पालिए,
कब सब कुछ लूट जाएगा ये मन:स्थिति बनाए रखिए।
दगा कब कौन दे जाए इस पर सवाल मत रखिए,
हर वक्त एक नया जख्म खाने की तैयारी रखिए।
वादे किसने कब क्या किया,भूल जाने की कोशिश कीजिए,
आप कहां तक वादा निभाने,जरा इस पर गौर कीजिए।
एक बूंद आंसू औरों के आंखों में अपने लिए छोड़ रखिए,
जाने कब कूंच करना हो, इससे भी इत्तफाक रखिए।
रीता चटर्जी
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