ग़ज़ल
हो वहम दिल में तो क्या-क्या दिखाई देता है
घने अँधेरे में चेहरा दिखाई देता है
तेरे बिना मुझे कुछ भी नज़र नहीं आता
बग़ैर चश्मे के धुँधला दिखाई देता है
ख़बर है मुझ को वो प्यासा है कितना अंदर से
तुम्हें जो आदमी दरिया दिखाई देता है
ज़ईफ़ माँ को तो काफ़ी है इतनी बीनाई
कि उस की आँख से बेटा दिखाई देता है
ये बच्चे नोट को पैसा नहीं समझते हैं
इन्हें बस एक रुपैया दिखाई देता है
© Rehan Mirza
#ghazal #WritcoQuote #writcopoem #Shayari #Hindi #urdupoetry
घने अँधेरे में चेहरा दिखाई देता है
तेरे बिना मुझे कुछ भी नज़र नहीं आता
बग़ैर चश्मे के धुँधला दिखाई देता है
ख़बर है मुझ को वो प्यासा है कितना अंदर से
तुम्हें जो आदमी दरिया दिखाई देता है
ज़ईफ़ माँ को तो काफ़ी है इतनी बीनाई
कि उस की आँख से बेटा दिखाई देता है
ये बच्चे नोट को पैसा नहीं समझते हैं
इन्हें बस एक रुपैया दिखाई देता है
© Rehan Mirza
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