...

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कविता: "मोह - माया"
सूरज उग रहा है
आंखो में ये स्वपन गली के लेकर ।


क्या है ये संसार हमारा
जहां किसी का कोई नहीं ।।

यहां लोगों का दिखावा है
कोई किसी नहीं होता है ।।।

सबकी "मोह-माया" में पड़कर
हमने खुद को खोया है।।।।

इस दुनिया में वही कामयाब होगा
जो दुनिया से अपने नाते तोड़े है।।।।।


-{निकिता यादव}
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