...

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The forgotten breath
"आजकल ज़िन्दगी बस दौड़ती जा रही है ,
और हम बस पीछे भागते जा रहे हैं...
लेकिन इस भागती-दौड़ती जिंदगी के पीछे हम उसे जीना भूलते जा रहे हैं...
तो इस भागती हुई जिंदगी से हो सके तो कुछ लम्हे चुरा लेते हैं ना...
इस बिन मौसम बदल ते वक्त से कुछ वक्त चुरा लेते हैं ना... कि कहीं किसी अपने के साथ दो पल ढहर जाते हैं ना...

इस भागते वक्त के साथ कुछ दूर हो गए थे अपने...
कुछ पल रुक कर उन्हें मना लेते हैं ना...
बचपन जो गुजर गया बड़े बनने की चाह में...
अगर हो सके तो एक वारी फिर जी लेते हैं ना...
कि इन बीतते लम्हों से कुछ लम्हें अपने लिए जी लेते हैं ना...

इस दौड़ती-भागती जिंदगी में कुछ माज़े उलझ गए हैं...
कहीं रुक कर एक प्याली चाय के साथ सुलझा लेते हैं ना...
दोस्तों के साथ बिताए वो दिन...
हो सके तो उन्हें गुजरे कल से चुरा लेते हैं ना...
कि हो सके तो कुछ जिंदगी जी लेते हैं ना..."
© crescentwish