बिखरी बातें
वेदना - व्यथित हृदय है मेरा
पल पल एक ज्वाला रहती है ,
सुध उसकी उन यादों की आती तब
दृगजल की तरनी बहती है ।
अनुराग नही वह छल था उसका
अनृत वो हर अनुबंद रहा
अच्छहीन सा मैने तेरे हर कथनों पर यकीन किया ।
संप्रति अब सब बोध हुआ
जब आज भाव मेरा बिखर गया
मेरे प्रेम का एक एक शुद्ध भाव
तेरा निमिष मात्र का बस क्रीड़ा रहा ।
© Saumya singh
पल पल एक ज्वाला रहती है ,
सुध उसकी उन यादों की आती तब
दृगजल की तरनी बहती है ।
अनुराग नही वह छल था उसका
अनृत वो हर अनुबंद रहा
अच्छहीन सा मैने तेरे हर कथनों पर यकीन किया ।
संप्रति अब सब बोध हुआ
जब आज भाव मेरा बिखर गया
मेरे प्रेम का एक एक शुद्ध भाव
तेरा निमिष मात्र का बस क्रीड़ा रहा ।
© Saumya singh