!...शर्मिंदा है आज मेरा वतन..!
मेरे आंखों से छुपे है जो नजारे सारे
पर्दे हटने पर नजर आते है सितारे सारे
ये रोशनी और उजाले, ओझल हो तो
फिर नजर आते है यहां पर काले सारे
हर आंख को मयस्सर नहीं देखे हक को
देख कर जो हो जाते है...
पर्दे हटने पर नजर आते है सितारे सारे
ये रोशनी और उजाले, ओझल हो तो
फिर नजर आते है यहां पर काले सारे
हर आंख को मयस्सर नहीं देखे हक को
देख कर जो हो जाते है...