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बेवफ़ाई की कीमत
कुछ भी करने लिए, फ़ुरसत तो होंगें तुम्हारे पास जरुर…
पर इतराने के खातिर, कोई वजह न बाकी होगी तुममें।
कुछ कहने के लिए, दिलमें हसरत तो होंगें बड़े जरुर…
पर हक जताने लिए, कोई मोहब्बत न बाकी होगी हममें।।

नजरिए से तुम्हारे, हमने हर छलावे को लिया था सच मान,
पर पर्दाफ़ाश से बेवफ़ाईयों को तुम्हारे, गया था हमने जान।
अपना कहने से पहले, हमें अपना हमराज़ ही बना लिया होता,
वाकेयात जो अबतक है हुआ, शायद इतना गम न दिया होता।।

कुछ भी करने लिए, फ़ुरसत तो होंगें तुम्हारे पास जरुर…
पर इतराने के खातिर, कोई वजह न बाकी होगी तुममें।
कुछ कहने के लिए, दिलमें हसरत तो होंगें बड़े जरुर…
पर हक जताने लिए, कोई मोहब्बत न बाकी होगी हममें।।

माफी के लायक होंगे नहीं कभी, जो गुनाहें हुए हैं तुमसे…
अपनी पलकों में सजालेना मुझे, शायद ही नजरें तुम्हारी कह पाएगी हमसे।
मदहोशी में बहकने के लिए, शराब तो होंगे तुम्हारे पास जरुर …
पर शबाब हम जैसा, और न मिल पायेगी कभी भी तुमसे।।

कुछ भी करने लिए, फ़ुरसत तो होंगें तुम्हारे पास जरुर…
पर इतराने के खातिर, कोई वजह न बाकी होगी तुममें।
कुछ कहने के लिए, दिलमें हसरत तो होंगें बड़े जरुर…
पर हक जताने लिए, कोई मोहब्बत न बाकी होगी हममें।।

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© सराफ़त द उम्मीदभरे क़लाम