चैत्र नव वर्ष
किसलय करते कर उठा उठा कर,
गुंचे करती मौन ही स्वागत।
पुष्प पंखुड़ी फैलाकर करते,
निशा दौड़कर करती जाग्रत ।
पक्षी कलरव कर गीत सुनाते,
सूरज की गर्मी समताप हो गई।...
गुंचे करती मौन ही स्वागत।
पुष्प पंखुड़ी फैलाकर करते,
निशा दौड़कर करती जाग्रत ।
पक्षी कलरव कर गीत सुनाते,
सूरज की गर्मी समताप हो गई।...