...

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मेरे पापा
हाथ पकड़ चलना सीखा,पीछे दौड़ के बड़े हुए
कांधे पर रखकर पैर उन्ही के,अपने पैरों पर खड़े हुए
कहा मिलेगा ऐसा प्यार,जिसको बस देना ही आता
दरजा भगवान से भी ऊपर,मेरा अभिमान मेरे पापा

सब कुछ सहते हंसते थे,हंसाते रहते थे मेरे पापा
सपने मेरे पूरे करने को,जमाने से लड़ते थे मेरे पापा
पीछे मुडके देखूं तो बस तस्वीर ही दिखती है उनकी
रह गई है बस याद अब उनकी अब तो बस थे मेरे पापा

ऊंचा हो कद फिर भी झुकना इतना तो पापा से सीखा है
जो सज्जनता दुनिया देख रही है शायद उनका ही तरीका है
कुछ तो कहते हैं मैं भी, दिखता हूं उनके ही जैसा
बातें भी वैसा ही करता हूं जैसा करते थे मेरे पापा

पता नहीं उनके जैसा थोड़ा भी क्या बन पाऊंगा
जो सहनशीलता उनमें थी क्या मैं भी सहन कर पाऊंगा
उनके थोड़े बोझ के साथ भी एक दिन हंस न पाया मैं
लाखो जिम्मेदारी ले जैसा हँसते थे मेरे पापा




© Anjaan