...

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वो नादांसा परींदा जैसे
युतॊ रोजमर्रा की आम सी बातें रहती हैं
पर उसे सुनाने में मजा आता हैं,
और मुझे
खामोशी से सुनकर मुस्कुराने में.
मैं चाहता हूं रोकलू उसे,
कुछ और वक्त गुजारू साथ में
और वो नादांसा परींदा जैसे,
जल्द लौटना चाहता हैं आशियाने में

© 🖋️दिलं-ए-जज्बात