...

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Zakhm....
जब रात में खामोशी होती है
तो सिर्फ़ मेरे रोने की आवाज़ आती है
दुनिया के सामने बहुत खुलकर हंसता हूं
पर दिल में उन गम़ों को दबाए रखता हूं
जो चाहता हूं वह कहां इतनी आसानी से मिलता है
आखिर में मुस्कुरा कर शुक्रिया कहना पड़ता है
लोगों के सामने आंसू गिराने से बचता हूं
तभी सिर्फ़ अंधेरा तलाशता हूं ताकि सिसक सकूं
मेरी धड़कन भी मुझे बहुत समझती है
उस शख्स का नाम सुनते ही तेज़ी से धड़कती है
मुझे जान लेना हर किसी के बस की बात नहीं
अंदर से ज़ख्मी हूं पर जोरों से दहाड़ता हूं
खुशी में भी आंखों में मेरी नमीं होती है
क्योंकि हर वक्त यह दर्द के समंदर में भीगी होती हैं
जिंदगी भला दुख देने में कंजूसी करती है क्या ?
यह तो हंसते खेलते इंसान को पता नहीं किस पल चुप करवा दे.....
मुझे तो कभी-कभी यह भी ख्याल आता है कि
मैं भी तो बस कुछ ही दिन का मेहमान हूं
सिर्फ़ कुछ दिन.....

#its ok...if u cry..😞😞😞
© Ishh...