zaroori nahi hai farishta hona
जरुरी नहीं है फरिश्ता होना,
इंसान का काफी है इंसान होना
हकीकत ज़माने को अब रास नहीं आती,
एक गुनाह सा हो गया है आईना होना
ये लोग, जीते जी मरे जा रहे हैं,
मैं चाहती हूँ मौत से पहले जिंदा होना
अपनी गलतियों पे भी नजरे झुकती नहीं अब,
लोग भूलने लगे हैं शर्मिंदा होना
प्यार शब्द को मझाक बना कर रख दिया है,
मुश्किल है अब जज़्बाद का होना
हर्फ-ए-मोहब्ब्त, पढ़ा मैंने भी है, देखा भी है
वफ़ा होना खफा होना बस कभी जुदा ना होना
© All Rights Reserved
इंसान का काफी है इंसान होना
हकीकत ज़माने को अब रास नहीं आती,
एक गुनाह सा हो गया है आईना होना
ये लोग, जीते जी मरे जा रहे हैं,
मैं चाहती हूँ मौत से पहले जिंदा होना
अपनी गलतियों पे भी नजरे झुकती नहीं अब,
लोग भूलने लगे हैं शर्मिंदा होना
प्यार शब्द को मझाक बना कर रख दिया है,
मुश्किल है अब जज़्बाद का होना
हर्फ-ए-मोहब्ब्त, पढ़ा मैंने भी है, देखा भी है
वफ़ा होना खफा होना बस कभी जुदा ना होना
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