इश्क़ है...
इश्क़ है...
धूप जो आएं सिर पे
तो ठंडी सी छाँव में है इश्क़
दर्द जो हो कई बार
पर बदन के हर घाव में है इश्क़
होंठों की लाली में है इश्क़
चाय की प्याली में है इश्क़
बड़े से झुमके में है
तो छोटी सी बाली में भी है इश्क़
मेरे इश्क़ करने में है इश्क़
बहते से झरने में है इश्क़
साँस लेना भी है इश्क़
जीना...
धूप जो आएं सिर पे
तो ठंडी सी छाँव में है इश्क़
दर्द जो हो कई बार
पर बदन के हर घाव में है इश्क़
होंठों की लाली में है इश्क़
चाय की प्याली में है इश्क़
बड़े से झुमके में है
तो छोटी सी बाली में भी है इश्क़
मेरे इश्क़ करने में है इश्क़
बहते से झरने में है इश्क़
साँस लेना भी है इश्क़
जीना...