...

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हम करके दिखाएंगे
सुबह 4:00 बजे उठना
बस में वो जाना
आशाएं मन में लेकर
हमारा वो पढ़ना

मायूसिया मन में
और कुछ भी ना आता
इतने सालों से
बस घर में ही रहता

मुझको भी तो है पढ़ना
मुझको भी तो है जाना
उन्ह टीचरों से मिलना
क्या गुरु होते हैं
अब वे याद आते हैं

मैंने ये अपनी शिद्दत
कैसे यह खोई है
जज्बे वाली आत्मा देखो
कैसे यह सोई है
मुझे थोड़ा सा डर है
मैं ना खो जाऊ
मेरा ध्यान इधर उधर है
मैं चलते रहा हूं मैं ना सो जाऊं
मुझे भी तो है पढ़ना
मुझे भी तो कुछ करना
सपना ये मेरा पूरा
बस में शिद्दत का मारा

राहो भर राहो मे
बस डर ही रहता है
क्यों मैं ना पढ़ता हूं
क्यों मेरा मन यह कहता है

मुझको कहीं भी ना
शिद्दत ना आती नजर
साल से ऊपर हो गया
मगर फिर भी
मुझे यह आस है
कि कुछ ना कुछ मुझे में
भीतो खास है

हम करके दिखाएंगे
हार ना मानेंगे
हम पढ़ कर दिखाएंगे
© yeshu