...

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PRINCE
एक सपना आँख में झलका :
कहीं पर ढोल-ताशे और शहनाई बजे
आवाज़ जैसे सिमटकर भर गई मेरे कान में,
आँसुओं से बनी, दुख के देश की लज्जावती रानी,
थिरककर किसी तारे से उतर आई बड़े अनजान में ।

जगमगाता-सा अतीन्द्रिय रूप, स्वप्नों से रंगे परिधान,
वह अज्ञातनामा राजकन्या प्राण में घिरने लगी,
एक मंडप में, अपरिचित वेद-मन्त्रों-बीच
गठबंधन किए, छाया-सरीखी, भाँवरें फिरने लगी।

बढा सपना :
बजी शहनाई, अगिनती वाद्य गूँजे,...