...

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साथ थे तुम

आज बड़े दिनों बाद साथ थे तुम
वही एहसास वही खुशबू
जब तुम मेरे साथ थे
ख्यालों की तुरपाई से सिल सिल कर महल बनाई थी
ख्वाबों में रोज हमने सुंदर सुंदर सपन सजाई
हर सांस में तुमको रोज गुनगुनाया थी
घर के एक कोने में तेरी भी परछाई लगाई थी
टूटे हुए खटोले पर तेरी बिस्तर हमने लगाई थी
आज
बड़े दिनों बाद
साथ थे तुम
पर मेरे नहीं