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ख़्वाहिशें.... 🌿 🍂
ख़्वाहिशें सारी पूरी हो सकती अगर,
तो क्या बात होती
ज़िंदगी लेकिन कब रुकती है,
कुछ ख्वाबों के टूटने से
इस दिल के टुकड़े हज़ार हुए थे ज़रूर,
तेरे चले जाने से
फिर दिल से निकाल न सके तुझे,
किसी भी बहाने से
कोई वजह ना रोक सकी अब,
हकीकत को मान लेने से
कब तक आस लगाए रखता
ये दिल भी मेरे बहलाने से
लौटकर आना हुआ ग़र,
कभी पुराने रास्तों के बुलाने से
कहानियाँ हमारे दीवानेपन की,
सुनोगे इस ज़माने से
🍂
© संवेदना
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