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बादलों सा बा़रिशों में गहरा हो रहा..🌦️
एहसास तेरे कमी का मुझे महसूस हो रहा,
जाऊ जहाँ भी ख़ुशबू से तेरे मिलना हो रहा।
अज़नबी थे पहले,अब आपसे रिश्ता ऐसा है,
जो बादलों सा बा़रिशों में गहरा हो रहा।
द़रिया में गिरे पत्तेसा मेरा इश्क बहता रहा,
पूरब में खिले चांद सा मेरा इश्क निख़रता रहा,
हवा का झोंका भी अब वो कह जाता है
जो आपसे सुनने का हमे बरसों से इंतजार रहा।
© Hayati
जाऊ जहाँ भी ख़ुशबू से तेरे मिलना हो रहा।
अज़नबी थे पहले,अब आपसे रिश्ता ऐसा है,
जो बादलों सा बा़रिशों में गहरा हो रहा।
द़रिया में गिरे पत्तेसा मेरा इश्क बहता रहा,
पूरब में खिले चांद सा मेरा इश्क निख़रता रहा,
हवा का झोंका भी अब वो कह जाता है
जो आपसे सुनने का हमे बरसों से इंतजार रहा।
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