पहला इश्क़!!!
एक शमा सा बांधा था तेरी वो पहली मुस्कान ने
घायल तो क्या जिस्म छोड़ दी थी इस जान ने
यूँ तो बड़ी क़यामत देखी है इन आँखों ने
पर इतनी ख़ूबसूरत और हसीं शायद लाखों में ।।
मदहोशी सी चढ़ गयी थी तेरी वो दबी सी हसीं
पता नही पर नाचीज़ के पास एक हूर आ फसी
सपनो की छोर तक में तुम्ही तुम थे हमारे हमनशी
कुछ और नहीं बस वो एक दीदार ही था तहसीन ।।
शायद उसी दिन से मेरी ग़ज़ल भी तू,...
घायल तो क्या जिस्म छोड़ दी थी इस जान ने
यूँ तो बड़ी क़यामत देखी है इन आँखों ने
पर इतनी ख़ूबसूरत और हसीं शायद लाखों में ।।
मदहोशी सी चढ़ गयी थी तेरी वो दबी सी हसीं
पता नही पर नाचीज़ के पास एक हूर आ फसी
सपनो की छोर तक में तुम्ही तुम थे हमारे हमनशी
कुछ और नहीं बस वो एक दीदार ही था तहसीन ।।
शायद उसी दिन से मेरी ग़ज़ल भी तू,...