छांव में धूप
जिस तरह हमे गर्मी में सूर्य की रोशनी चुभती है
उसी तरह जीवन में पिता कि कठोरता चुभती है
जो दर्द और पीड़ा किसान को बिन मौसम बरसात में होता है
वही दर्द और पीड़ा पिता के चुप्पी से होती है
जहां मां की दुलार हमें क्षणिक सुख देता है
वहीं पिता की कड़वी बात दर्द पर मरहम होता है
जो घाव पर गहराई से कार्य करता है
पिता हमें निर्दई लगते हैं पर पिता ही वह इंसान है
जिनके वजह से हम ताकतवर समझदार सुलझे और सफल इंसान बनते हैं ।
© freedom
उसी तरह जीवन में पिता कि कठोरता चुभती है
जो दर्द और पीड़ा किसान को बिन मौसम बरसात में होता है
वही दर्द और पीड़ा पिता के चुप्पी से होती है
जहां मां की दुलार हमें क्षणिक सुख देता है
वहीं पिता की कड़वी बात दर्द पर मरहम होता है
जो घाव पर गहराई से कार्य करता है
पिता हमें निर्दई लगते हैं पर पिता ही वह इंसान है
जिनके वजह से हम ताकतवर समझदार सुलझे और सफल इंसान बनते हैं ।
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