नींद कम्बखत पूरी नहीं होती...
9 से 6 में फ़स्सा हूँ ऐसे
कोई शनि की दशा हो जैसी
एक ईमेल (E-mail) पर हो हाज़िर जाता हूँ, कोई चिराग बॉस ने घीसा हो जैसा,
सहलाब ख्यालों का उठ रहा है,
दम खुल्ले में घुट रहा है,
गले का फंदा किसी ने कसा हो जैसा,
रोज़ रोज़ एक ही दिन जीता हूँ,
ठोकर थोड़ी खा लेता हूँ,
अपना ही फिर गम पीता हूं,
मैं पिंजरे में बंद बाज हूं जैसा,
चिड़िया घर का...
कोई शनि की दशा हो जैसी
एक ईमेल (E-mail) पर हो हाज़िर जाता हूँ, कोई चिराग बॉस ने घीसा हो जैसा,
सहलाब ख्यालों का उठ रहा है,
दम खुल्ले में घुट रहा है,
गले का फंदा किसी ने कसा हो जैसा,
रोज़ रोज़ एक ही दिन जीता हूँ,
ठोकर थोड़ी खा लेता हूँ,
अपना ही फिर गम पीता हूं,
मैं पिंजरे में बंद बाज हूं जैसा,
चिड़िया घर का...