कैप्टन विक्रम बत्रा
ये कविता मैने 2022 मे gallantry award winners के उपलक्ष्य पर कारगिल के हीरो शेरशाह कैप्टन विक्रम बत्रा के उपर उनके जन्मदिन 9 सितम्बर पर लिखी🧡🤍💚
नहीं इस सरजमीं का
एक भी फौजी डरता है
जीवन की हर सांस को
इस मिट्टी पे न्योछावर करता है
खौफ नहीं है मर जाने का अपने स्वार्थ के खातिर
कैसे बुझे चराग दिलों मे वतन के लिये आखिर
जितना तपता सोना भट्टी में
उतना ही अधिक निखरता है
ऐसे ही वीर जाबाज़ों मे
मुल्क का प्रेम उमड़ता है
लोहा भी लोहा बनने को
प्रचंड अग्नि में गलता है
यूहीं नही बनते है सिपाही
यौवन में साहस मचल्ता है
धमनियों मे खून उबलता है
उदित हुये दिनकर उस दिन जब
कारगिल की बर्फ चमकाने को
जय हिन्द की सेना बढ चली
दुश्मन से देश बचाने को
है फर्ज़ अदा करने का वक़्त
जब अरि का संकट गहराया है
भूल भयंकर करके उसने
यहाँ अपना झंडा लहराया है
इस बार हिफाज़त करमे को
फिर एक नया जाबाज़ आया है
दुश्मन को पाताल दिखाने को
कैप्टन विक्रम ने बेड़ा उठाया है
चोटी 5140 जो कि दुश्मन ने घेरी थी
बजने को क्षण भर मे यहाँ विजय की रणभेरी थी
बढता गया काफिला हिन्द का
लड़ते ठंडी फिज़ाओं से
डगमगाती हुई घाटियों और
हड्डियां चटकाती हवाओं से
मगर लहू मे ज्वार इतना कि
बर्फ को भी पिघला दे
मौत का भी कॉलर पकड़कर
उसको वहीं सुला दे
इस तरह टोलियों मे वे सब
दुश्मन के नज़दीक...
नहीं इस सरजमीं का
एक भी फौजी डरता है
जीवन की हर सांस को
इस मिट्टी पे न्योछावर करता है
खौफ नहीं है मर जाने का अपने स्वार्थ के खातिर
कैसे बुझे चराग दिलों मे वतन के लिये आखिर
जितना तपता सोना भट्टी में
उतना ही अधिक निखरता है
ऐसे ही वीर जाबाज़ों मे
मुल्क का प्रेम उमड़ता है
लोहा भी लोहा बनने को
प्रचंड अग्नि में गलता है
यूहीं नही बनते है सिपाही
यौवन में साहस मचल्ता है
धमनियों मे खून उबलता है
उदित हुये दिनकर उस दिन जब
कारगिल की बर्फ चमकाने को
जय हिन्द की सेना बढ चली
दुश्मन से देश बचाने को
है फर्ज़ अदा करने का वक़्त
जब अरि का संकट गहराया है
भूल भयंकर करके उसने
यहाँ अपना झंडा लहराया है
इस बार हिफाज़त करमे को
फिर एक नया जाबाज़ आया है
दुश्मन को पाताल दिखाने को
कैप्टन विक्रम ने बेड़ा उठाया है
चोटी 5140 जो कि दुश्मन ने घेरी थी
बजने को क्षण भर मे यहाँ विजय की रणभेरी थी
बढता गया काफिला हिन्द का
लड़ते ठंडी फिज़ाओं से
डगमगाती हुई घाटियों और
हड्डियां चटकाती हवाओं से
मगर लहू मे ज्वार इतना कि
बर्फ को भी पिघला दे
मौत का भी कॉलर पकड़कर
उसको वहीं सुला दे
इस तरह टोलियों मे वे सब
दुश्मन के नज़दीक...