कानो में बाला है इशारा !!
छपक नयन नीर बरसे
आंखो से बस तीर बरसे
पिया देखे को संवर तरसे
खिले सूरत उनके देखे भर से
हर शाम साज सुरूर छाए
कर याद उनको मन मचल आए
बरसात में भी ये नदी प्यासी
उनका साथ होना ही है काफी
कानो में बाला है इशारा
पायल भी बज कर है बुलाती
लज्जा है ये नजर झुकाती...
आंखो से बस तीर बरसे
पिया देखे को संवर तरसे
खिले सूरत उनके देखे भर से
हर शाम साज सुरूर छाए
कर याद उनको मन मचल आए
बरसात में भी ये नदी प्यासी
उनका साथ होना ही है काफी
कानो में बाला है इशारा
पायल भी बज कर है बुलाती
लज्जा है ये नजर झुकाती...