...

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माँ
जब आंखे खोली थी इस संसार मे
भगवान को अपने पाया था..
रोते हुए उन लम्हो मे जब
माँ कहकर बुलाया था..

सुबह शाम ओर रात अंधेरे
आंचल मे जिसने छुपाया था..
सबसे पहले मेरी माँ थी वोह
जिसने मुझे हँसाया था..

भुख लगी जब मन के अंदर
खाना बीन मांगे खिलवाया था..
चोट लगी जब जिस्म के उपर
वोह बादल गरजाया था..

ना रुठि अपने बच्चों से वोह
बस डान्ट लगाना आता था..
अपने दामन से अश्क़ पुछ कर
बस प्यार जताना आता था..