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घर का कुल दीपक #स्त्री
घर का कुल दीपक नहीं कही जाती
पर हर घर की रोशनी हैं हम,
किरदारों की गिनती नहीं हर नाज़ुक
रिश्ते की मधुर ध्वनि हैं हम,
बात कल की करूं या आज की
समाज का आधार हैं हम,
फिर क्यों बराबरी पर अड़ी है सोच ये
क्यों समझते हो लाचार हैं हम,
क्या दूं मिसाल करने को साबित कि
समूल जाति का अस्तित्व हैं हम,
केवल जीव मात्र नहीं हैं; है करते
इस जीवन का नेतृत्व भी हम,
है क्षेत्र कौन सा वो जहां नहीं की
हमने अगुवाई है,
कभी बन रजिया किया शासन तो
कभी बनी लक्ष्मी बाई हैं,
है कितना महान मातृत्व का चित्र
समझना न ये साधारण है,
महान शिवाजी की प्रेरणा स्रोत
जीजाबाई इसका उदाहरण हैं,
गर जो कहे कोई कि संसार तेरा
बस ये चारदीवारी है,
याद दिला देना उनको कि इंद्रा
और कल्पना भी इसी देश की नारी है,
चलो बढ़ते है इतिहास से आगे
और वर्तमान पर आते है,
बतलाओ ज़रा है क्षेत्र कौन सा
जहां हम नहीं कदम से कदम
मिलाते हैं,
चर्चा करूं सीमाओं की या
आसमान में भरी उड़ान की,
खेलों में जीते बराबर तमगो की
या विश्वसुंदरी बन बढ़ाई देश की शान की,
हर कल्प में हर दिशा ने
कहानी स्त्री शक्ति की सुनाई है,
हम ही में बसी है मां अनुसूया
हम ही में भवानी समाई है।
#International Womens Day