...

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फिर आया दिसंबर
फिर आया दिसंबर का महीना,
जस्बात आँसू बनकर फिर से बहने लगी हैं।

ओढ़ रखी है मैने गर्म यादों की चादर,
फिर भी क्यों, बिरह की सर्द हवा तड़पाने लगी हैं।

यादों के बाग़ में एहसास का गुल
खिला है, फिर क्यों मेरे...