...

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मां
सपनों की टूटी जहां आस थी,
मुस्कुरा कर खड़ी मेरी मां पास थी।

जीवन की इस कठोर राहों में,
सुकून तो मिलता हैं मां के बाहों में।

रातों का अकेलापन मुझे डसता है,
कभी अचानक से एक भय मेरे मन में बसता है।

' क्या है मेरे जीवन का अर्थ?' ये सवाल मेरे दिल में चलता है,
' क्या यही है मेरा अंत!' ये विचार मन में पलता है।

जब कभी ज़िंदगी ने मुझे मात दिया,
दुनिया ने छोड़ा, पर मां ने हमेशा अपना हाथ दिया।

ज़िंदगी के छन भर के दुख में भी , सबसे पहला ' call' मां का आता है,
आखिर ये कौन सा wifi connection या 5G का डाटा है।

बहुत विचार करने पे मैने राज़ जाना, जो सालों से गढ़ा था,
शायद ये connection मेरा, मेरी मां के कोख से ही पढ़ा था।
- RKWRITES
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