{आगमन}
दिन ढलते जब संध्या
दीया सहज ले आई
अश्रु से भर गये नयन
श्रद्धा ज्योति बन आई
पथ के शूल अदृश्य हुये
प्रश्न विरह के स्पष्ट हुये
लिये...
दीया सहज ले आई
अश्रु से भर गये नयन
श्रद्धा ज्योति बन आई
पथ के शूल अदृश्य हुये
प्रश्न विरह के स्पष्ट हुये
लिये...