...

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टोकरी गिरती है....,
हमारा जीवन एक टोकरी जैसा ही तो है,,
हर रोज हम साँसों की
बेंत-बाँस से बुनते,
अनेक अँधेरे और ऊबड़-खाबड़ राहों पर लड़खड़ाते कदमों से,
अनगिनत उम्मीदों,
सपनों,
और जिम्मेदारियों को ढोते हैं..,
फिर
एक दिन यूं ही
चलते-चलते, बोझ से गरदन चटक जाती है..

#टोकरी_गिरती_है,
और
जीवन बिखर जाता है,,,!

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