...

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वो रावण ही था
वो लंकेश भी क्या
रावण था
जेसको धेनु मां का
अभिमान था
वो दशानन भी क्या
रावण था
जिसे अव्धि मां का
ज्ञान था
वो दैत्येन्द्र भी क्या
रावण था
जेसको सहोदर से
अनुराग था
वो दशशीश भी क्या
रावण था
जे अग्रजा की भक्ति
में अवलेप था
वो दशकंध भी क्या
रावण था
जेसकी निगाह नै
मां सीता का सम्मान किया
वो लंकापति भी क्या
रावण था
अपने अरि राम को ही
मुक्ति मार्ग का सोम गीत माना
वो रावण ही था
पर उसने भी प्रभु राम
सा ही काम किया
बस ऐक अहं ने
उसे समर भूमी पर
ला खडा किया
हां वो दनुज रावण ही था
जिसने सर्वप्रथम अपनी
शवयात्रा पर राम का नाम सत्य
सभी दनुज व मनुज से कहलवाया
जो आज परंपरा है

आशीष जैन (श्रीचंद्र जी)