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🟢 ज्ञात तरीका 🟢



कविता - ज्ञात तरीका
कवि - जोत्सना जरी


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मेरे सारे दिन
खो गये
मैंने अपना दिमाग नहीं खोया है।
जब मेरा मन अकेला
जल्द ही बात करते हैं।

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आम के पेड़ में आम हो गए हैं
फूल खिले हैं
मेरे बेतरतीब बाल फूल को बैठने के लिए बुलाते हैं।
जो सोचते हैं मैं बहुत दूर हूँ
वे गलत हैं।
हर दिन मैं आता-जाता रहता हूँ
उस परिचित रास्ते पर
अब मैं
स्वप्न रथ में तैरते हुए
रास्ते में आप जानते हैं.


💦