नाराज़गी
नाराज़ थे हम,
ये जानते हुए भी उन्होंने नाराज़ हमें रहने दिया,
वो पुछने भी ना आये नाराज़गी मेरी,
और ना मुझे नाराज़गी जताने का मौका दिया,
उन्होंने मुस्कुरा कर नाराज़गी को मेरी,
फालतू की बातें समझ कर,
कचरे के डिब्बे में डाल दिया।
कुछ दिनों बाद मिले एक रास्ते पर थे,
थोड़ी देर टाला एक दूसरे को,
पर जब नजरें मिली तो,
खुद को रोक लिया।
बात करते क्या ये,
सोच रहे ही थे कि,
उनकी तिरछी हँसी ने तंज कसा,
क्या हट गई नाराज़गी तुम्हारी,
या नाटक तुम्हारे चालू अभी भी हैं।
मैनें गुस्से में कहा,
तुमने पूछा तक नहीं नाराज़गी की वजह मेरी,
और अब मजाक बनाते हो...
ये जानते हुए भी उन्होंने नाराज़ हमें रहने दिया,
वो पुछने भी ना आये नाराज़गी मेरी,
और ना मुझे नाराज़गी जताने का मौका दिया,
उन्होंने मुस्कुरा कर नाराज़गी को मेरी,
फालतू की बातें समझ कर,
कचरे के डिब्बे में डाल दिया।
कुछ दिनों बाद मिले एक रास्ते पर थे,
थोड़ी देर टाला एक दूसरे को,
पर जब नजरें मिली तो,
खुद को रोक लिया।
बात करते क्या ये,
सोच रहे ही थे कि,
उनकी तिरछी हँसी ने तंज कसा,
क्या हट गई नाराज़गी तुम्हारी,
या नाटक तुम्हारे चालू अभी भी हैं।
मैनें गुस्से में कहा,
तुमने पूछा तक नहीं नाराज़गी की वजह मेरी,
और अब मजाक बनाते हो...