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मैं कृष्ण की रुक्मिणी....👑🌿
जी हाँ, मैं कृष्ण की रुक्मिणी,
एक शूरवीर राजा की बेटी,
परंतु मैं पगली ठहरी बड़ी भोली,
साँवले उस ग्वाले पर अपना हृदय हार बैठी।

न हुई कोई जान, न कोई पहचान,
सिर्फ सुने उसके बहुत बखान,
सबका चुराए मन, सबसे पाए सम्मान,
तभी से भाने लगे मुझे वो पुरुष महान।

प्रेमी को देख लोग सुध-बुध भूलते,
यहाँ बिन देखे ही वो हर तरफ व्याप्त हैं।
लोगों को बड़ी आसानी से वो मिल जाते हैं,
यहाँ उनकी एक झलक को हम तरस जाते हैं।

अब उनके दर्शन से ही नेह मेरा,
न कोई और अधिक आस है,
दूर रहकर भी वो मेरे हैं,
यही बस मेरा विश्वास है।
© P. Parmar