दर्द लाए हो।
सुना है दर्द लाए हो,मेरे सीने में रख दो,
मेरे इश्क़ के सफ़र में तुम,सबर रख दो।
हूँ मैं आज़ाद हवा का पँछी अलबेला,
इस पेड़ से उस पेड़ पर मेरा घर रख दो।
पिलाने को तो अमृत भी पिला दूँगा तुम्हें,
पहले मेरे हिस्से का ज़हर ला कर रख दो।
मैं चलूँगा आखरी दम तक साथ तुम्हारें,
मुझें बस अपना हमसफ़र बना कर रख दो।
एक रोज़ मैं ये दुनियां भी तुम्हें सौंप दूँगा,
बस मेरी मौत को मेरे पास ला कर रख दो।।
Rohit Upadhye
मेरे इश्क़ के सफ़र में तुम,सबर रख दो।
हूँ मैं आज़ाद हवा का पँछी अलबेला,
इस पेड़ से उस पेड़ पर मेरा घर रख दो।
पिलाने को तो अमृत भी पिला दूँगा तुम्हें,
पहले मेरे हिस्से का ज़हर ला कर रख दो।
मैं चलूँगा आखरी दम तक साथ तुम्हारें,
मुझें बस अपना हमसफ़र बना कर रख दो।
एक रोज़ मैं ये दुनियां भी तुम्हें सौंप दूँगा,
बस मेरी मौत को मेरे पास ला कर रख दो।।
Rohit Upadhye