...

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मिट्टी से आए हो,
मिट्टी से आए हो,
मिट्टी में ही मिल जाओगे,
अकड़ दिखा कर,
सम्मान थोड़ी पाओगे

चंद पैसों का, इतना
घमंड ठीक नहीं, जनाब
रब भी नही बख्शेगा,
अगर कमजोर को सताओगे

पैसा, शोहरत, शान-ओ-शौकत,
ये तो बस यहीं तक है
न वहां से कुछ लाए थे,
न वहां कुछ ले जा पाओगे

जिसे तुम दुनिया कहते हो,
ये तो बस मुसाफिरों का शहर है,
जहां से आए हो,
एक दिन वही चले जाओगे

हासिल ही करना है अगर,
तो कुछ नेकियां हासिल कर लो
जब पूछेगा रब ऊपर,
तो क्या बताओगे?

मिट्टी से आए हो,
मिट्टी में ही मिल जाओगे,

© Vineet