कशमकश
तुम्हारी याद रहीं साथ तो कहां जा पाऊंगा
तुम समाये मन में रहें तो किसे पा जाऊंगा
अतीत भूले बिना वर्तमान कैसे जी पाऊंगा
मन की एकाग्रता से ही कुछ मैं पा सकूंगा
शांत चित्त से मन को अदृश्य पंख मिलेंगे
अंतःकरण की शुद्धि से मन निर्मल होगा
तुम समाये मन में रहें तो किसे पा जाऊंगा
अतीत भूले बिना वर्तमान कैसे जी पाऊंगा
मन की एकाग्रता से ही कुछ मैं पा सकूंगा
शांत चित्त से मन को अदृश्य पंख मिलेंगे
अंतःकरण की शुद्धि से मन निर्मल होगा