...

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न जाने
न जाने किस दिशा से ये घनघोर उदासी छायी है
न जाने मेरे जीवन मैं कैसी तन्हाई लायी है

रिश्तो के धागे भी अब टूटे-टूटे से लगते है
मदिरा के प्याले भी अब फूटे-फूटे से लगते है
कोयल की कुकनी भी अब मन को नहीं भाती है
बासुरी की धुन भी अब फीकी सी रह जाती है

न जाने किस गुनाह की सजा हमने ऐसी पायी है

न जाने किस दिशा से ये घनघोर उदासी छायी है
न जाने मेरे जीवन मैं कैसी तन्हाई लायी है।