मनुष्यता
#मेरी_पंक्ति 🌻शबरी के बेरों के रस का हक़ अता करो।
केवट की नैया, भावसागर मैं पता करो मनुष्यता की क्षणभंगुरता से नहीं आघात मुझको। आपकी अनुपस्थिति का खा रहा संताप मुझको। नर से नारायण का, प्रयोजन कितना निराधार है। नाथ आप नर बने तो सृष्टि का उद्धार है।। चाहे कुछ भी हों प्रयोजन, उत्पत्ति हेतु जो भी सोचा।
मैं नहीं उठ सकता भगवन, मेरी मनुष्यता से ऊँचा।।
रजनीश सुयाल
© rajnish suyal
केवट की नैया, भावसागर मैं पता करो मनुष्यता की क्षणभंगुरता से नहीं आघात मुझको। आपकी अनुपस्थिति का खा रहा संताप मुझको। नर से नारायण का, प्रयोजन कितना निराधार है। नाथ आप नर बने तो सृष्टि का उद्धार है।। चाहे कुछ भी हों प्रयोजन, उत्पत्ति हेतु जो भी सोचा।
मैं नहीं उठ सकता भगवन, मेरी मनुष्यता से ऊँचा।।
रजनीश सुयाल
© rajnish suyal