...

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उठ ना सकेंगे जनाजे़ तुम्हारे
भड़काते हैं मुझको
सताते हैं मुझको,,
है उनके लिए पैगाम
जो रूलाते हैं मुझको,,

सताते ही रहना रूलाते ही रहना
हो सके जितना तड़पाते ही रहना,,
भारी कीमत चुकाओगे एक दिन
सेह सको जीतना उतना ही कहना,,

तुम क्या जानो मेरी हकीकत
मेरी क़ुवत मेरी अक़ीदत,,
एक लफ्ज़ तक कह न सकोगे
बोलेगी जिस दिन मेरी मेहनत,,

जेसे कोई चिंगारी ताने तुम्हारे
बारूद में हूँ सामने तुम्हारे,,
जरा ध्यान से में फट न जाऊँ
उठ ना सकेंगे जनाज़े तुम्हारे,,

हर एक आंसू को पी रहा हूं
ज़रा अंधेरो में जी रहा हूँ,,
तुम देते रहो ताने मगर
जीने की दुआएं दे रहा हूं,,

(continue.....)

© Ali Abbas Haidar